बाणी भगत नामदेव जीउ की

   
नामदेव महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत हो गए हैं। इनके समय में नाथ और महानुभाव पंथों का महाराष्ट्र में प्रचार था। संत नामदेव का जन्म सन 1261 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में कृष्णा नदी के किनारे बसे नरसीबामणी नामक गाँव में एक दर्जी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दामाशेटी और माता का नाम गोणाई देवी था। इनका परिवार भगवान विट्ठल का परम भक्त था। नामदेव का विवाह राधाबाई के साथ हुआ था और इनके पुत्र का नाम नारायण था।

संत नामदेव ने विसोबा खेचर को गुरु के रूप में स्वीकार किया था। ये संत ज्ञानेश्वर के समकालीन थे और उम्र में उनसे ५ साल बड़े थे। संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर के साथ पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण किए, भक्ति-गीत रचे और जनता जनार्दन को समता और प्रभु-भक्ति का पाठ पढ़ाया। संत ज्ञानेश्वर के परलोकगमन के बाद इन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया। इन्होंने मराठी के साथ ही साथ हिन्दी में भी रचनाएँ लिखीं। इन्होंने अठारह वर्षो तक पंजाब ( गुमान - बटाला - गरदास पुर ) में भगवन्नाम का प्रचार किया। अाप की रचनाएँ सिक्खों की धार्मिक ग्रथ गुरू ग्रथ साहिब में दर्ज हैं। मुखबानी नामक पुस्तक में इनकी रचनाएँ संग्रहित हैं। आज भी इनके रचित गीत पूरे महाराष्ट्र में भक्ति और प्रेम के साथ गाए जाते हैं।

अाप की बाणी का मुख्य उपदेश एक निराकार प्रमात्मा की अराधना करना है।

गुरमति राम नाम गहु मीता ।।
प्रणवै नामा इऊ कहे गीता ।।
गुरू ग्रथं साहिब - अंक 881 ( बाणी संत नामदेव जी )

भाव : गुरू की मत ले कर केवल एक निराकार राम की अराधना करो - गीता ग्रथ भी इसी बात को कहती है ;