अंक : 1164
भैरउ बाणी नामदेउ जीउ की घरु १
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
दूधु कटोरै गडवै पानी॥
कपल गाइ नामै दुहि आनी ॥१॥
दूधु पीउ गोबिंदे राइ ॥
दूधु पीउ मेरो मनु पतीआइ॥
नाही त घर को बापु रिसाइ॥१॥ रहाउ ॥

सोइन कटोरी अम्रित भरी॥
लै नामै हरि आगै धरी ॥२॥
एकु भगतु मेरे हिरदे बसै ॥
नामे देखि नराइनु हसै॥३॥
दूधु पीआइ भगतु घरि गइआ॥
नामे हरि का दरसनु भइआ॥४॥३॥
ਕਟੋਰੈ—ਕਟੋਰੇ ਵਿਚ ।
ਦੂਧੁ ਪੀਉ ਗੋਬਿੰਦੇ ਰਾਇ ॥ ਦੂਧੁ ਪੀਉ ਮੇਰੋ ਮਨੁ ਪਤੀਆਇ ॥