करमु न होती काइआ॥ हम नही होते तुम नही होते कवनु कहां ते आइआ॥१॥ राम कोइ न किस ही केरा॥ जैसे तरवरि पंखि बसेरा॥१॥रहाउ॥ चंदु न होता सूरु न होता पानी पवनु मिलाइआ॥ सासतु न होता बेदु न होता करमु कहां ते आइआ॥२॥ खेचर भूचर तुलसी माला गुर परसादी पाइआ ॥ नामा प्रणवै परम ततु है सतिगुर होइ लखाइआ॥३॥३॥ |
ਪਦਅਰਥ:- |
ਮਾਇ ਨ ਹੋਤੀ ਬਾਪੁ ਨ ਹੋਤਾ ਕਰਮੁ ਨ ਹੋਤੀ ਕਾਇਆ ॥ |