तो पहि दुगणी मजूरी दैहउ मो कउ बेढी देहु बताई हो ॥१॥ री बाई बेढी देनु न जाई ॥ देखु बेढी रहिओ समाई ॥ हमारै बेढी प्रान अधारा ॥१॥ रहाउ॥ बेढी प्रीति मजूरी मांगै जउ कोऊ छानि छवावै हो ॥ लोग कुट्मब सभहु ते तोरै तउ आपन बेढी आवै हो ॥२॥ ऐसो बेढी बरनि न साकउ सभ अंतर सभ ठांई हो ॥ गूंगै महा अम्रित रसु चाखिआ पूछे कहनु न जाई हो ॥३॥ बेढी के गुण सुनि री बाई जलधि बांधि ध्रू थापिओ हो ॥ नामे के सुआमी सीअ बहोरी लंक भभीखण आपिओ हो ॥४॥२॥ |
ਪਾੜ ਪੜੋਸਣਿ ਪੂਛਿ ਲੇ ਨਾਮਾ ਕਾ ਪਹਿ ਛਾਨਿ ਛਵਾਈ ਹੋ ॥ |