अंक : 727
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
तिलंग बाणी भगत नामदेव जी की
 
मै अंधुले की टेक तेरा नामु खुंदकारा ॥
मै गरीब मै मसकीन तेरा नामु है अधारा ॥1॥रहाउ॥

करीमां रहीमां अलाह तू गनीं ॥
हाजरा हजूरि दरि पेसि तूं मनीं ॥1॥
दरीआउ तू दिहंद तू बिसीआर तू धनी ॥
देहि लेहि एकु तूं दिगर को नही ॥2॥
तूं दानां तूं बीनां मै बीचारु किआ करी ॥
नामे चे सुआमी बखसंद तूं हरी ॥3॥1॥2॥

 

ਮੈ ਅੰਧੁਲੇ ਕੀ ਟੇਕ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਖੁੰਦਕਾਰਾ ॥ ਮੈ ਗਰੀਬ ਮੈ ਮਸਕੀਨ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਹੈ ਅਧਾਰਾ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥