अंक : 1318
रागु कानड़ा बाणी नामदेव जीउ की 
एक ओंकार  सतिगुर प्रसादि ॥
 
ऐसो राम राइ अंतरजामी ॥
जैसे दरपन माहि बदन परवानी ॥१॥ रहाउ ॥

बसै घटा घट लीप न छीपै ॥
बंधन मुकता जातु न दीसै ॥१॥
पानी माहि देखु मुखु जैसा ॥
नामे को सुआमी बीठलु ऐसा ॥२॥१॥

ਰਾਮ ਰਾਇ—
ਐਸੋ ਰਾਮ ਰਾਇ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥
ਜੈਸੇ ਦਰਪਨ ਮਾਹਿ ਬਦਨ ਪਰਵਾਨੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥