अंक : 1350
प्रभाती
 
आदि जुगादि जुगादि जुगो जुगु ता का अंतु न जानिआ॥
सरब निरंतरि रामु रहिआ रवि ऐसा रूपु बखानिआ॥१॥
गोबिदु गाजै सबदु बाजै॥
आनद रूपी मेरो रामईआ॥१॥रहाउ॥

बावन बीखू बानै बीखे बासु ते सुख लागिला॥
सरबे आदि परमलादि कासट चंदनु भैइला॥२॥
तुम्ह चे पारसु हम चे लोहा संगे कंचनु भैइला॥ तू
दइआलु रतनु लालु नामा साचि समाइला॥३॥२॥
ਆਦਿ—
ਆਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਜੁਗੋ ਜੁਗੁ ਤਾ ਕਾ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਨਿਆ ॥
ਸਰਬ ਨਿਰੰਤਰਿ ਰਾਮੁ ਰਹਿਆ ਰਵਿ ਐਸਾ ਰੂਪੁ ਬਖਾਨਿਆ ॥੧॥