अंक : 718
टोडी बाणी भगतां की 
        एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
कोई बोलै निरवा कोई बोलै दूरि॥
जल की माछुली चरै खजूरि॥१॥
कांइ रे बकबादु लाइओ॥
जिनि हरि पाइओ तिनहि छपाइओ॥१॥रहाउ॥

पंडितु होइ कै बेदु बखानै॥
मूरखु नामदेउ रामहि जानै॥२॥१॥

 
ਕੋਈ ਬੋਲੈ ਨਿਰਵਾ ਕੋਈ ਬੋਲੈ ਦੂਰਿ ॥ ਜਲ ਕੀ ਮਾਛੁਲੀ ਚਰੈ ਖਜੂਰਿ॥੧॥