जल की माछुली चरै खजूरि॥१॥ कांइ रे बकबादु लाइओ॥ जिनि हरि पाइओ तिनहि छपाइओ॥१॥रहाउ॥ पंडितु होइ कै बेदु बखानै॥ मूरखु नामदेउ रामहि जानै॥२॥१॥ |
ਕੋਈ ਬੋਲੈ ਨਿਰਵਾ ਕੋਈ ਬੋਲੈ ਦੂਰਿ ॥ ਜਲ ਕੀ ਮਾਛੁਲੀ ਚਰੈ ਖਜੂਰਿ॥੧॥ |
जल की माछुली चरै खजूरि॥१॥ कांइ रे बकबादु लाइओ॥ जिनि हरि पाइओ तिनहि छपाइओ॥१॥रहाउ॥ पंडितु होइ कै बेदु बखानै॥ मूरखु नामदेउ रामहि जानै॥२॥१॥ |
ਕੋਈ ਬੋਲੈ ਨਿਰਵਾ ਕੋਈ ਬੋਲੈ ਦੂਰਿ ॥ ਜਲ ਕੀ ਮਾਛੁਲੀ ਚਰੈ ਖਜੂਰਿ॥੧॥ |