अंक : 1196
बसंतु बाणी नामदेउ जी की
एक ओंकार  सतिगुर प्रसादि ॥
 
साहिबु संकटवै सेवकु भजै॥
चिरंकाल न जीवै दोऊ कुल लजै ॥१॥
तेरी भगति न छोडउ भावै लोगु हसै ॥
चरन कमल मेरे हीअरे बसैं॥१॥रहाउ॥

जैसे अपने धनहि प्रानी मरनु मांडै ॥
तैसे संत जनां राम नामु न छाडैं ॥२॥
गंगा गइआ गोदावरी संसार के कामा॥
नाराइणु सुप्रसंन होइ त सेवकु नामा॥३॥१॥

ਸੰਕਟਵੈ—
ਤੇਰੀ ਭਗਤਿ ਨ ਛੋਡਉ ਭਾਵੈ ਲੋਗੁ ਹਸੈ ॥ ਚਰਨ ਕਮਲ ਮੇਰੇ ਹੀਅਰੇ ਬਸੈਂ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥