भूलौ रे ठगमूरी खाइ ॥१॥ रहाउ ॥ जैसे मीनु पानी महि रहै ॥ काल जाल की सुधि नही लहै ॥ जिहबा सुआदी लीलित लोह ॥ ऐसे कनिक कामनी बाधिओ मोह ॥१॥ जिउ मधु माखी संचै अपार ॥ मधु लीनो मुखि दीनी छारु ॥ गऊ बाछ कउ संचै खीरु ॥ गला बांधि दुहि लेइ अहीरु ॥२॥ माइआ कारनि स्रमु अति करै ॥ सो माइआ लै गाडै धरै ॥ अति संचै समझै नही मूड़्ह ॥ धनु धरती तनु होइ गइओ धूड़ि ॥३॥ काम क्रोध त्रिसना अति जरै ॥ साधसंगति कबहू नही करै ॥ कहत नामदेउ ता ची आणि ॥ निरभै होइ भजीऐ भगवान ॥४॥१॥ |
ਰੇ—ਹੇ! ਕਾਏਂ—ਕਿਉਂ? |
ਕਾਏਂ ਰੇ ਮਨ ਬਿਖਿਆ ਬਨ ਜਾਇ ॥ ਭੂਲੌ ਰੇ ਠਗਮੂਰੀ ਖਾਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ |