अंतरजामी रामु रवांई मै डरु कैसे चहीऐ॥१॥ बेधीअले गोपाल गोसाई॥ मेरा प्रभु रविआ सरबे ठाई ॥१॥रहाउ॥ मानै हाटु मानै पाटु मानै है पासारी॥ मानै बासै नाना भेदी भरमतु है संसारी॥२॥ गुर कै सबदि एहु मनु राता दुबिधा सहजि समाणी॥ सभो हुकमु हुकमु है आपे निरभउ समतु बीचारी॥३॥ जो जन जानि भजहि पुरखोतमु ता ची अबिगतु बाणी॥ नामा कहै जगजीवनु पाइआ हिरदै अलख बिडाणी॥४॥१॥ |
ਬਿਰਥਾ— |
ਮਨ ਕੀ ਬਿਰਥਾ ਮਨੁ ਹੀ ਜਾਨੈ ਕੈ ਬੂਝਲ ਆਗੈ ਕਹੀਐ ॥ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ਰਾਮੁ ਰਵਾਂਈ ਮੈ ਡਰੁ ਕੈਸੇ ਚਹੀਐ ॥੧॥ |