अंक न: 345
रागु गउड़ी चेती बाणी नामदेउ जीउ की
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
 
देवा पाहन तारीअले ॥
राम कहत जन कस न तरे ॥१॥ रहाउ ॥

तारीले गनिका बिनु रूप कुबिजा बिआधि अजामलु तारीअले ॥
चरन बधिक जन तेऊ मुकति भए ॥
हउ बलि बलि जिन राम कहे ॥१॥
दासी सुत जनु बिदरु सुदामा उग्रसैन कउ राज दीए ॥
जप हीन तप हीन कुल हीन कर्म हीन नामे के सुआमी तेऊ तरे ॥२॥१॥

देवा = हे देव! हे प्रभू! पाहन = पत्थर, पाषाण। तारीअले = तारे गए, तार दिए, तैरा दिए।

इस शबद में नामदेव जी ने उन उत्शाह भरी और प्रेम भरी साखियों का जिक्र करके मन को बंदगी की ओर उत्साहित किया है जो रामायण, महाभारत और पुराण आदि में आती हैं और जो आम लोगों में प्रचलित थीं। रामायण की ये कथा आम प्रसिद्ध है कि श्री राम जी ने लंका में पहुँचने के लिए समुंद्र पर पुल बनाने के वास्ते पत्थरों पे ‘राम’ का नाम लिखवाया और पत्थर तैरने लगे।

कस न = क्यूँ ना?।1। रहाउ।

तारीले = तैरा दी। गनिका = वेश्वा (जिसे एक महापुरुष एक तोता दे गए और कह गए इसको राम नाम पढ़ाना)। बिनु रूप = रूप हीन। कुबिजा = कुब्जा, ये एक जवान लड़की कंस की दासी थी, पर थी कुब्बी। जब कृष्ण जी और बलराम मथुरा जा रहे थे, ये कुबिजा कंस के लिए सुगंधि का सामान ले के जाती इनको रास्ते पर मिली। कृष्ण जी के मांगने पर इसने कुछ इत्र आदि इनको दे भी दिया। इस पे कृष्ण जी ने प्रसन्न होकर इसका कुब दूर कर दिया, जिससे ये बड़ी सुंदर कुमारी दिखने लगी। बिआधी = रोग (ग्रस्त), विकारों में प्रवृक्त। बधिक = निशाना मारने वाला (शिकारी)। चरन बधिक = वह शिकारी (जिसने हिरन के भुलेखे में कृष्ण जी के) पैरों में निशाना मारा। बलि बलि = सदके।1।

दासी सुत = दासी का पुत्र। जनु = (तेरा) भगत। बिदरु = बिदुर, व्यास के आर्शीवाद से दासी के कोख से जन्मा पुत्र पाण्डवों का छोटा भाई, ये कृष्ण जी का भगत था। सुदामा = (सुदामन्) एक बहुत ही गरीब ब्राहमण कृष्ण जी का हम जमाती और मित्र था। अपनी पत्नी की प्रेरणा पर एक मुठी चावल ले कर ये कृष्ण जी के पास द्वारका हाजिर हुआ और उन्होंने उसे मेहर की नजर से अथाह धन और शोभा बख्शी। उग्रसैन = कंस का पिता, कंस पिता को सिंहासन से उतार के खुद राज करने लगा था; कृष्ण जी ने कंस को मार के इसे पुनः राज बख्शा। क्रम हीन = कर्म हीन। तेऊ = वह सारे।2।
देवा पाहन तारीअले ॥
राम कहत जन कस न तरे ॥१॥ रहाउ ॥

 हे प्रभू! (वह) पत्थर (भी समुंद्र पर) तूने तैरा दिए (जिनपे तेरा ‘राम’ नाम लिखा गया था, भला) वह मनुष्य (संसार समुंद्र से) क्यों नहीं तैरेंगे, जो तेरा नाम सिमरते हैं? रहाउ।

तारीले गनिका बिनु रूप कुबिजा बिआधि अजामलु तारीअले ॥
चरन बधिक जन तेऊ मुकति भए ॥
हउ बलि बलि जिन राम कहे ॥१॥

हे प्रभू! तूने (बुरे कर्मों वाली) वेश्वा को (विकारों से) बचा लिया, तूने कुरूप कुबिजा का कुब्ब दूर कर दिया, तूने विकारों में गले हुए अजामल को तार दिया। (कृष्ण जी के) पैरों में निशाना मारने वाला शिकारी (और) ऐसे कई (विकारी) लोग (तेरी मेहर से) मुक्त हो गए। मैं सदके हूँ उनसे जिन्होंने प्रभू का नाम सिमरा।1।

दासी सुत जनु बिदरु सुदामा उग्रसैन कउ राज दीए ॥
जप हीन तप हीन कुल हीन कर्म हीन नामे के सुआमी तेऊ तरे ॥२॥१॥

हे प्रभू! दासी का पुत्र बिदर तेरा भगत (प्रसिद्ध हुआ), सुदामा (इसकी तूने दरिद्रता खत्म कर दी), उग्रसैन को तूने राज दिया। हे नामदेव के स्वामी! तेरी कृपा से वे सभी तैर गए जिन्होंने कोई जप नहीं किए, कोई तप नहीं साधे, जिनकी कोई ऊंची कुल नहीं थी, कोई अच्छे अमल नहीं थे।2।1।