जौ भीख मंगावहि त किआ घटि जाई॥१॥ तूं हरि भजु मन मेरे पदु निरबानु ॥ बहुरि न होइ तेरा आवन जानु ॥१॥रहाउ॥ सभ तै उपाई भरम भुलाई ॥ जिस तूं देवहि तिसहि बुझाई॥२॥ सतिगुरु मिलै त सहसा जाई॥ किसु हउ पूजउ दूजा नदरि न आई॥३॥ एकै पाथर कीजै भाउ॥ दूजै पाथर धरीऐ पाउ॥ जे ओहु देउ त ओहु भी देवा॥ कहि नामदेउ हम हरि की सेवा॥४॥ |
जौ = यदि। भीख मंगावहि = मुझसे भीख मंगाए, मुझे मंगता बना दे, मुझे कंगाल कर दे।1। पदु = दर्जा, मुकाम। निरबानु = निरवाण, वासना रहित, जहाँ दुनिया की कोई वासना ना रहे। बहुरि = फिर, दुबारा।1। रहाउ। तै = (हे प्रभू!) तू। उपाई = पैदा की। बुझाई = समझ दी, सूझ।2। सहसा = दिल की घबराहट। जाई = दूर हो जाती है।3। भाउ = प्यार। पाउ = पैर। देउ = देवता।4। |
जौ राजु देहि त कवन बडाई ॥ जौ भीख मंगावहि त किआ घटि जाई ॥१॥ हे प्रभू! अगर तू मुझे राज (भी) दे दे, तो किसी तरह बड़ा नहीं हो जाऊँगा और अगर तू मुझे कंगाल कर दे, तो मेरा कुछ घट नहीं जाना। 1 तूं हरि भजु मन मेरे पदु निरबानु ॥ बहुरि न होइ तेरा आवन जानु ॥१॥ रहाउ ॥ हे मेरे मन! तू एक प्रभू को सिमर; वही वासना-रहित अवस्था देने वाला है, उसका सिमरन करने से फिर तेरा जगत में ( पैदा होना-मरना ) मिट जाएगा।1। रहाउ। सभ तै उपाई भरम भुलाई ॥ जिस तूं देवहि तिसहि बुझाई ॥२॥ (हे प्रभू!) सारी सृष्टि तूने स्वयं ही पैदा की है और भरमों में गलत रास्ते पर डाली हुई है, जिस जीव को तू खुद मति देता है उसे ही सद्-बुद्धि आती है।2 सतिगुरु मिलै त सहसा जाई ॥ किसु हउ पूजउ दूजा नदरि न आई ॥३॥ (जिस भाग्यशालियों को) सतिगुरू मिल जाए (दुखों-सुखों के बारे में) उसके दिल की घबराहट दूर हो जाती है (और वह अपने ही घड़े हुए देवताओं के आगे नाक नहीं रगड़ता फिरता)। (मुझे गुरू ने समझ बख्शी है) प्रभू के बिना कोई और (दुख-सुख देने वाला) मुझे नहीं दिखता, (इस वास्ते) मैं किसी और की पूजा नहीं करता।3। एकै पाथर कीजै भाउ ॥ दूजै पाथर धरीऐ पाउ ॥ जे ओहु देउ त ओहु भी देवा ॥ कहि नामदेउ हम हरि की सेवा ॥४॥१॥ (क्या अजीब बात है कि) एक पत्थर (को देवता बना के उसके) साथ प्यार किया जाता है और दूसरों पत्थरों पर पैर रखा जाता है। अगर वह पत्थर (जिसकी पूजा की जाती है) देवता है तो दूसरा पत्थर भी देवता है (उसे क्यूँ पैरों के तले लिताड़ते हैं? पर) सतिगुरू नामदेव जी उपदेश करते है (हम किसी पत्थर को देवता स्थापित करके उसकी पूजा करने के लिए तैयार नहीं), हम तो परमात्मा की बंदगी करते हैं।4।1। |