धंनि ते वै मुनि जन जिन धिआइओ हरि प्रभु मेरा ॥१॥ मेरै माथै लागी ले धूरि गोबिंद चरनन की ॥ सुरि नर मुनि जन तिनहू ते दूरि ॥१॥ रहाउ॥ दीन का दइआलु माधौ गरब परहारी ॥ चरन सरन नामा बलि तिहारी ॥२॥५॥ |
ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਮਾਧਉ ਬਿਰਦੁ ਤੇਰਾ ॥ ਧੰਨਿ ਤੇ ਵੈ ਮੁਨਿ ਜਨ ਜਿਨ ਧਿਆਇਓ ਹਰਿ ਪਰ੍ਭੁ ਮੇਰਾ ॥੧॥ |