अगनि दहै काइआ कलपु कीजै ॥ असुमेध जगु कीजै, सोना गरभ दानु दीजै राम नाम सरि तऊ न पूजै॥१॥ छोडि छोडि रे पाखंडी मन कपटु न कीजै॥ हरि का नामु नित नितहि लीजै॥१॥रहाउ॥ गंगा जउ गोदावरि जाईऐ, कुमभि जउ केदार न्हाईऐ गोमती सहस गऊ दानु कीजै॥ कोटि जउ तीरथ करै तनु जउ हिवाले गारै राम नाम सरि तऊ न पूजै॥२॥ असु दान गज दान सिहजा नारी भूमि दान ऐसो दानु नित नितहि कीजै ॥ आतम जउ निरमाइलु कीजै आप बराबरि कंचनु दीजै राम नाम सरि तऊ न पूजै॥३॥ मनहि न कीजै रोसु जमहि न दीजै दोसु निरमल निरबाण पदु चीन्हि लीजै॥ जसरथ राइ नंदु राजा मेरा राम चंदु प्रणवै नामा ततु रसु अम्रितु पीजै ॥४॥४॥ |
ਉਲਟਿ— |
ਸਦਾ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਨਾਮ ਹੀ ਸਿਮਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।੧।ਰਹਾਉ। |