अंक : 988
माली गउड़ा बाणी भगत नामदेव जी की 
       एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
सभै घट रामु बोलै रामा बोलै॥
राम बिना को बोलै रे॥१॥रहाउ॥

एकल माटी कुंजर चीटी
भाजन हैं बहु नाना रे॥
असथावर जंगम कीट पतंगम
घटि घटि रामु समाना रे॥१॥
एकल चिंता राखु अनंता
अउर तजहु सभ आसा रे॥
प्रणवै नामा भए निहकामा
को ठाकुरु को दासा रे॥२॥३॥
ਸਭੈ ਘਟ—
ਸਭੈ ਘਟ ਰਾਮੁ ਬੋਲੈ ਰਾਮਾ ਬੋਲੈ ॥ ਰਾਮੁ ਬਿਨਾ ਕੋ ਬੋਲੈ ਰੇ ॥੧॥ਰਹਾਉ॥