अंक : 1165
भैरउ बाणी नामदेउ जीउ की घरु २
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
संडा मरका जाइ पुकारे ॥
पड़ै नही हम ही पचि हारे ॥
रामु कहै कर ताल बजावै चटीआ सभै बिगारे ॥१॥
राम नामा जपिबो करै ॥
हिरदै हरि जी को सिमरनु धरै ॥१॥ रहाउ ॥

बसुधा बसि कीनी सभ राजे बिनती करै पटरानी ॥
पूतु प्रहिलादु कहिआ नही मानै तिनि तउ अउरै ठानी ॥२॥
दुसट सभा मिलि मंतर उपाइआ करसह अउध घनेरी ॥
गिरि तर जल जुआला भै राखिओ राजा रामि माइआ फेरी ॥३॥
काढि खड़गु कालु भै कोपिओ मोहि बताउ जु तुहि राखै ॥
पीत पीतांबर त्रिभवण धणी थ्मभ माहि हरि भाखै ॥४॥
हरनाखसु जिनि नखह बिदारिओ सुरि नर कीए सनाथा ॥
कहि नामदेउ हम नरहरि धिआवह रामु अभै पद दाता ॥५॥३॥९॥
ਸੰਡਾ ਮਰਕਾ—
ਸੰਡਾ ਮਰਕਾ ਜਾਇ ਪੁਕਾਰੇ ॥ ਪੜੈ ਨਹੀ ਹਮ ਹੀ ਪਚਿ ਹਾਰੇ ॥
ਰਾਮੁ ਕਹੈ ਕਰ ਤਾਲ ਬਜਾਵੈ ਚਟੀਆ ਸਭੈ ਬਿਗਾਰੇ ॥੧॥