अंक : 693
धनासरी बाणी भगत नामदेव जी की 
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
 
पहिल पुरीए पुंडरक वना ॥
ता चे हंसा सगले जनां॥
क्रिस्ना ते जानऊ हरि हरि नाचंती नाचना ॥१॥
पहिल पुरसाबिरा ॥
अथोन पुरसादमरा ॥
असगा अस उसगा ॥
हरि का बागरा नाचै पिंधी महि सागरा ॥१॥ रहाउ ॥

नाचंती गोपी जंना ॥
नईआ ते बैरे कंना ॥
तरकु न चा ॥
भ्रमीआ चा ॥
केसवा बचउनी अईए मईए एक आन जीउ ॥२॥
पिंधी उभकले संसारा ॥
भ्रमि भ्रमि आए तुम चे दुआरा ॥
तू कुनु रे॥
मै जी नामा॥
हो जी ॥
आला ते निवारणा जम कारणा ॥३॥४॥

 

ਪਹਿਲ ਪੁਰਸਾਬਿਰਾ ॥ ਅਥੋਨ ਪੁਰਸਾਦਮਰਾ ॥ ਅਸਗਾ ਅਸ ਉਸਗਾ ॥