दरसन निमख ताप त्रई मोचन परसत मुकति करत ग्रह कूप ॥१॥ रहाउ ॥ मेरी बांधी भगतु छडावै बांधै भगतु न छूटै मोहि ॥ एक समै मो कउ गहि बांधै तउ फुनि मो पै जबाब न होइ ॥१॥ मै गुन बंध सगल की जीवनि मेरी जीवनि मेरे दास ॥ नामदेव जा के जीअ ऐसी तैसो ता कै प्रेम प्रगास ॥२॥३॥ |
ਅਨਿੰਨ— |
ਦਾਸ ਅਨਿੰਨ ਮੇਰੋ ਨਿਜ ਰੂਪ ॥ |