अंक : 1163
भैरउ बाणी नामदेउ जीउ की घरु १
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
रे जिहबा करउ सत खंड ॥
जामि न उचरसि स्री गोबिंद॥१॥
रंगी ले जिहबा हरि कै नाइ ॥
सुरंग रंगीले हरि हरि धिआइ॥१॥ रहाउ ॥

मिथिआ जिहबा अवरें काम॥
निरबाण पदु इकु हरि को नामु॥२॥
असंख कोटि अन पूजा करी॥
एक न पूजसि नामै हरी॥३॥
प्रणवै नामदेउ इहु करणा॥
अनंत रूप तेरे नाराइणा॥४॥१॥
ਰੇ—
ਰੇ ਜਿਹਬਾ ਕਰਉ ਸਤਖੰਡ ॥ ਜਾਮਿ ਨ ਉਚਰਸਿ ਸ੍ਰੀ ਗੋਬਿੰਦ ॥੧॥