अंक : 1164
भैरउ बाणी नामदेउ जीउ की घरु १
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
मै बउरी मेरा रामु भतारु ॥
रचि रचि ता कउ करउ सिंगारु॥१॥
भले निंदउ भले निंदउ भले निंदउ लोगु॥
तनु मनु राम पिआरे जोगु॥१॥रहाउ॥

बादु बिबादु काहू सिउ न कीजै ॥
रसना राम रसाइनु पीजै॥२॥
अब जीअ जानि ऐसी बनि आई ॥
मिलउ गुपाल नीसानु बजाई॥३॥
उसतति निंदा करै नरु कोई ॥
नामे स्रीरंगु भेटल सोई॥४॥४॥
ਬਉਰੀ
ਮੈ ਬਉਰੀ ਮੇਰਾ ਰਾਮੁ ਭਤਾਰੁ ॥ ਰਚਿ ਰਚਿ ਤਾ ਕਉ ਕਰਉ ਸਿੰਗਾਰੁ ॥੧॥