अंक : 1165
भैरउ बाणी नामदेउ जीउ की घरु २
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
सुलतानु पूछै सुनु बे नामा ॥
देखउ राम तुम्हारे कामा ॥१॥
नामा सुलताने बाधिला ॥
देखउ तेरा हरि बीठुला ॥१॥ रहाउ ॥

बिसमिलि गऊ देहु जीवाइ ॥
नातरु गरदनि मारउ ठांइ ॥२॥
बादिसाह ऐसी किउ होइ ॥
बिसमिलि कीआ न जीवै कोइ ॥३॥
मेरा कीआ कछू न होइ ॥
करि है रामु होइ है सोइ ॥४॥
बादिसाहु चड़्हिओ अहंकारि ॥
गज हसती दीनो चमकारि ॥५॥
रुदनु करै नामे की माइ ॥
छोडि रामु की न भजहि खुदाइ ॥६॥
न हउ तेरा पूंगड़ा न तू मेरी माइ ॥
पिंडु पड़ै तउ हरि गुन गाइ ॥७॥
करै गजिंदु सुंड की चोट ॥
नामा उबरै हरि की ओट ॥८॥
काजी मुलां करहि सलामु ॥
इनि हिंदू मेरा मलिआ मानु ॥९॥
बादिसाह बेनती सुनेहु ॥
नामे सर भरि सोना लेहु ॥१०॥
मालु लेउ तउ दोजकि परउ ॥
दीनु छोडि दुनीआ कउ भरउ ॥११॥
पावहु बेड़ी हाथहु ताल ॥
नामा गावै गुन गोपाल ॥१२॥
गंग जमुन जउ उलटी बहै ॥
तउ नामा हरि करता रहै ॥१३॥
सात घड़ी जब बीती सुणी ॥
अजहु न आइओ त्रिभवण धणी ॥१४॥
पाखंतण बाज बजाइला ॥
गरुड़ चड़्हे गोबिंद आइला ॥१५॥
अपने भगत परि की प्रतिपाल ॥
गरुड़ चड़्हे आए गोपाल ॥१६॥
कहहि त धरणि इकोडी करउ ॥
कहहि त ले करि ऊपरि धरउ ॥१७॥
कहहि त मुई गऊ देउ जीआइ ॥
सभु कोई देखै पतीआइ ॥१८॥
नामा प्रणवै सेल मसेल ॥
गऊ दुहाई बछरा मेलि ॥१९॥
दूधहि दुहि जब मटुकी भरी ॥
ले बादिसाह के आगे धरी ॥२०॥
बादिसाहु महल महि जाइ ॥
अउघट की घट लागी आइ ॥२१॥
काजी मुलां बिनती फुरमाइ ॥
बखसी हिंदू मै तेरी गाइ ॥२२॥
नामा कहै सुनहु बादिसाह ॥
इहु किछु पतीआ मुझै दिखाइ ॥२३॥
इस पतीआ का इहै परवानु ॥
साचि सीलि चालहु सुलितान ॥२४॥
नामदेउ सभ रहिआ समाइ ॥
मिलि हिंदू सभ नामे पहि जाहि ॥२५॥
जउ अब की बार न जीवै गाइ ॥
त नामदेव का पतीआ जाइ ॥२६॥
नामे की कीरति रही संसारि ॥
भगत जनां ले उधरिआ पारि ॥२७॥
सगल कलेस निंदक भइआ खेदु ॥
नामे नाराइन नाही भेदु ॥२८॥१॥१०॥
ਬੇ—
ਸੁਲਤਾਨੁ ਪੂਛੈ ਸੁਨੁ ਬੇ ਨਾਮਾ ॥ ਦੇਖਉ ਰਾਮ ਤੁਮ੍ਾਰੇ ਕਾਮਾ ॥੧॥