ता कै निकटि बसै नरहरी॥१॥ जो न भजंते नाराइणा॥ तिन का मै न करउ दरसना॥१॥ रहाउ॥ जिन कै भीतरि है अंतरा॥ जैसे पसु तैसे ओइ नरा ॥२॥ प्रणवति नामदेउ नाकहि बिना ॥ ना सोहै बतीस लखना॥३॥२॥ |
ਪਰ ਧਨ ਪਰ ਦਾਰਾ ਪਰਹਰੀ ॥ ਤਾ ਕੈ ਨਿਕਟਿ ਬਸੈ ਨਰਹਰੀ ॥੧॥ । |
ता कै निकटि बसै नरहरी॥१॥ जो न भजंते नाराइणा॥ तिन का मै न करउ दरसना॥१॥ रहाउ॥ जिन कै भीतरि है अंतरा॥ जैसे पसु तैसे ओइ नरा ॥२॥ प्रणवति नामदेउ नाकहि बिना ॥ ना सोहै बतीस लखना॥३॥२॥ |
ਪਰ ਧਨ ਪਰ ਦਾਰਾ ਪਰਹਰੀ ॥ ਤਾ ਕੈ ਨਿਕਟਿ ਬਸੈ ਨਰਹਰੀ ॥੧॥ । |