अंक : 988
माली गउड़ा बाणी भगत नामदेव जी की 
       एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
धनि धंनि ओ राम बेनु बाजै ॥
मधुर मधुर धुनि अनहत गाजै ॥१॥ रहाउ॥

धनि धनि मेघा रोमावली॥
धनि धनि क्रिसन ओढै कांबली॥१॥
धनि धनि तू माता देवकी॥
जिह ग्रिह रमईआ कवलापती॥२॥
धनि धनि बन खंड बिंद्राबना॥
जह खेलै स्री नाराइना॥३॥
बेनु बजावै गोधनु चरै ॥
नामे का सुआमी आनद करै॥४॥१॥
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