अंक : 1167
भैरउ बाणी नामदेउ जीउ की घरु २
एक ओंकार सतिगुर प्रसादि ॥
 
आउ कलंदर केसवा॥
करि अबदाली भेसवा॥रहाउ॥

जिनि आकास कुलह सिरि कीनी कउसै सपत पयाला॥
चमर पोस का मंदरु तेरा इह बिधि बने गुपाला॥१॥
छपन कोटि का पेहनु तेरा सोलह सहस इजारा॥
भार अठारह मुदगरु तेरा सहनक सभ संसारा॥२॥
देही महजिदि मनु मउलाना सहज निवाज गुजारै॥
बीबी कउला सउ काइनु तेरा निरंकार आकारै॥३॥
भगति करत मेरे ताल छिनाए किह पहि करउ पुकारा॥
नामे का सुआमी अंतरजामी फिरे सगल बेदेसवा ॥४॥१॥
ਆਉ—
ਆਉ ਕਲੰਦਰ ਕੇਸਵਾ ॥ ਕਰਿ ਅਬਦਾਲੀ ਭੇਸਵਾ ॥ ਰਹਾਉ ॥