- 01 - तोही मोही मोही तोही अंतर कैसा ॥ कनक कटिक जल तरंग जैसा ॥ ♫
- 02 - मेरी संगत पोच सोच दिन राती।। मेरा कर्म कुटिलता जन्म कुभांती ।। ♫
- 03 - बेगम पुरा सहर को नाउ।। दूख: अंदोह नही तह ठाउ।। ♫
- 04 - घट अवघट डूगर घणा इक निरगुण बैल हमार ।। ♫
- 05 - कूप भरिओ जैसे दादरा कछु देस बदेस न बूझ ।। ♫
- 06 - सतजुग सत, तेता जगी, दुआपर पुजाचार ।। ♫
- 07 - म्रिग मीन भ्रिंग पतंग कुंचर एक दोख बिनास।। ♫
- 08 - संत तुझी तनु संगति प्रान ।। सतिगुर ज्ञान जानै संत देवा देव ।।♫
- 09 - तुम चंदन हम इरंड बापुरे संग तुमारे बासा ।। ♫
- 10 - कहा भयओ जउ तन भयओ छिनु छिनु ।। ♫
- 11 - हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे ।। ♫
- 12 - माटी को पुतरा कैसे नचत है ।। ♫
- 13 - दूध त बछरै थनहु बिटारिओ ।। ♫
- 14 - जब हम होते तब तू नाही अब तूही मै नाही ।। ♫
- 15 - जउ हम बांधे मोह फास हम प्रेम बधनि तुम बाधे ।। ♫
- 16 - दुलभ जन्म पुंन फल पायो बिरथा जात अविवेकै ।। ♫
- 17- सुख सागरु सुरतर चिंतामनि कामुधेन बसि जा के ।। ♫
- 18 - जउ तुम गिरिवर तउ हम मोरा ।। ♫
- 19 - जल की भीति पवन का थ्मभा रकत बूंद का गारा ।। ♫
- 20 - चमरटा गांठि न जनई ।। लोग गठावै पनही ।। ♫
- 21- हम सरि दीन दियाल न तुम सर अब पतीआरु किया कीजै ।। ♫
- 22 - चित सिमरन करउ नैन अविलोकनो स्रवन बानी सुजसु पुरि राखउ ।। ♫
- 23 - नाम तेरो आरती मजन मुरारे ।। हरि के नाम बिन झूठे सगल पासारे ।। ♫
- 24 - नाथ कछुअ न जानउ ।। मन माया कै हाथ बिकानउ ।। ♫
- 25 - सह की सार सुहागनि जानै ।। तजि अभिमान सुख रलीआ मानै ।। ♫
- 26 - जो दिन आवहि सो दिन जाही ।। करना कूच रहन थिर नाही ।। ♫
- 27 - ऊचे मंन्दर साल रसोई ।। एक घरी फुनि रहन न होई ।। ♫
- 28 - दारिद देख सभ को हसै ऐसी दसा हमारी ।। ♫
- 29 - जिह कुल साधु बैसनौ होइ ।। ♫
- 30 - मुकंद मुकंद जपहु संसार ।। बिन मुकंद तन होए अउहार ।। ♫
- 31 - जे ओह अठसठ तीर्थ न्हावै ।। जे ओह दुआदस सिला पूजावै ।। ♫
- 32 - पड़ीऐ गुनीऐ नाम सभ सुनीऐ अनभउ भाउ न दरसै ।। ♫
- 33 - ऐसी लाल तुझ बिन कउन करै ।। ♫
- 34 - सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ।। ♫
- 35 - खट करम कुल संजुगत है हरि भगति हिरदै नाहि ।। ♫
- 36 - बिन देखे उपजै नही आसा ।। जो दीसै सो होए बिनासा ।। ♫
- 37 - तुझहि सुझंता कछू नाहि ।। पहिरावा देखे ऊभि जाहि ।। ♫
- 38 - नागर जनां मेरी जाति बिखिआत चमारं ।। रिदै राम गोबिंद गुन सारं ।। ♫
- 39 - एक ही एक अनेक होइ बिसथरिओ आन रे आन भरपूरि सोऊ ।। ♫
- 40 - मिलत पिआरो प्रान नाथु कवन भगति ते ।। ♫
- 41 - हरि सो हीरा छाडि के करहि आन की आस ।। ♫