कवन भगति ते ।। साधसंगति पाई परम गते ।। रहाउ ।। मैले कपरे कहा लउ धोवउ ।। आवैगी नीद कहा लगु सोवउ ।।१।। जोई जोई जोरिओ सोई सोई फाटिओ ।। झुठै बनजि उठि ही गई हाटिओ ।।२।। कह रविदास भयो जब लेखो ।। जोई जोई कीनो सोई सोई देखिओ ।।३।।१।।३।। |
मिलत पिआरो प्रान नाथु कवन भगति ते ।। साधसंगति पाई परम गते ।। रहाउ ।। प्राणों का प्रिय पति परमेश्वर किस भक्ति द्वारा मिल सकता है ? साधु-संगति द्वारा प्रभु प्रियतम मिलने पर परमगति अर्थात् मुक्ति प्राप्त होती है । मैले कपरे कहा लउ धोवउ ।। आवैगी नीद कहा लगु सोवउ ।।१।। मैं शरीर रूपी मैले कपड़ों को कब तक धोता रहूँगा ? कब तक मैं इस अज्ञानता की नींद में सोया रहूँगा ? जोई जोई जोरिओ सोई सोई फाटिओ ।। झुठै बनजि उठि ही गई हाटिओ ।।२।। सत्य-कर्म करके मैंने जो पूँजी एकत्र की थी वह अब मेरे पाप कर्मों की वजह से नष्ट होने लगी है और मेरी विषय-विकार रूपी झूठे व्यापार की दुकान भी बन्द को गई है । कह रविदास भयो जब लेखो ।। जोई जोई कीनो सोई सोई देखिओ ।।३।। गुरू रविदास जी कहते हैं कि जब कर्मों का हिसाब-किताब होगा, तब जो-जो कर्म किए होंगे वही दिखाई देंगे । |