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राग मारू बाणी रविदास जिउ की
ੴ सतिगुर प्रसादि ।।
   
ऐसी लाल तुझ बिन कउन करै ।।
गरीब निवाज गुसईआ मेरा माथै छत्र धरै ।।१।। रहाउ ।।

जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ।।
नीचह ऊच करै मेरा गोबिंद काहू ते न डरै ।।१।।
नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ।।
कहि रविदास सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ।।२।।१।।

 
ऐसी लाल तुझ बिन कउन करै ।।
गरीब निवाज गुसईआ मेरा माथै छत्र धरै ।।१।। रहाउ ।।

मेरे सुंदर प्रभु ! ऐसा चमत्कार तुम्हारे बिना दूसरा कौन कर सकता है ?
हे मेरे गोसाई, आप गरीब-निवाज हो । मेरे माथे पर आपने यश रूपी छत्र रख दिया है ।

जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ।।
नीचह ऊच करै मेरा गोबिंद काहू ते न डरै ।।१।।

जिस मनुष्य की छूत सारे संसार को लगती है, उस अछूत पर भी तुमने स्वयं ही कृपा की है ।
हे भाई ! मेरे गोविंद ने मुझ नीच को भी ऊँचा कर दिया है और वह किसी से डरता भी नहीं है ।

नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ।।
कहि रविदास सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ।।२।।१।।

प्रभु की कृपा से ही नामदेव जी ( छीपा ), कबीर दास जी ( जुलाहा ), त्रिलोचन जी ( ब्राह्मण ), सधना जी ( कसाई ), सैण जी ( नाई ) आदि प्रभु-भक्त इस भवसागर से पार हो गए हैं ।
गुरू देव रविदास जी कहते है कि हे संतजनों ! सुनो, प्रभु सब कुछ करने में समर्थ है ।